* पटना कलम: भारतीय लघु चित्रकला की अनूठी शैली पटना कलम (Patna Kalam) भारतीय लघु चित्रकला की एक अनूठी और विशिष्ट शैली है, जो मुख्य रूप से बिहार के पटना क्षेत्र में विकसित हुई। यह चित्रकला मुगल और कंपनी शैली का संयोजन है, जिसमें स्थानीय प्रभाव और भारतीय विषयों का समावेश किया गया है। इस शैली का विकास 18वीं और 19वीं शताब्दी में हुआ था और इसे "पटना स्कूल ऑफ पेंटिंग" भी कहा जाता है। पटना कलम का उद्भव पटना कलम की उत्पत्ति मुगलकालीन लघु चित्रकला से हुई, लेकिन यह दिल्ली और लखनऊ की पारंपरिक लघु चित्रकला से अलग थी। यह शैली विशेष रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के दौर में विकसित हुई, इसलिए इसे "कंपनी शैली" का भी हिस्सा माना जाता है। इस शैली का केंद्र पटना, बिहार था, जहाँ कलाकारों ने पारंपरिक मुगल कला को लोक चित्रकला के साथ मिलाकर एक नई पहचान दी। पटना कलम की कुछ प्रमुख विशेषताएँ : 1. यथार्थवादी चित्रण पटना कलम की सबसे बड़ी विशेषता इसका यथार्थवाद था। अन्य लघु चित्रकला शैलियों की तुलना में यह अधिक प्राकृतिक और सजीव प्रतीत होती थी। चित्रों में व्यक्तियों के चेहरे, पोश...
* भारत के लोक नृत्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित लोककथाएँ, दंतकथाएँ और मिथक, स्थानीय गीत और नृत्य परंपराओं के साथ मिलकर एक समृद्ध मिश्रित कला का निर्माण करते हैं। लोक नृत्य आमतौर पर सहज, सरल और बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के किए जाते हैं। इनकी यह सादगी इन्हें एक अनूठी सुंदरता प्रदान करती है। ये नृत्य प्रायः किसी विशेष समुदाय या क्षेत्र तक सीमित रहे हैं, जहाँ इनकी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रही है। प्रसिद्ध लोक नृत्य: 👉 छऊ नृत्य "छऊ" शब्द 'छाया' से लिया गया है, जिसका अर्थ 'परछाई' होता है। यह मुखौटे वाला नृत्य है, जिसमें पौराणिक कथाओं को मार्शल आर्ट जैसे आंदोलनों से प्रस्तुत किया जाता है। इसकी तीन प्रमुख शैलियाँ हैं: 1. सरायकेला छऊ (झारखंड) 2. मयूरभंज छऊ (ओडिशा) - इसमें मुखौटे नहीं पहने जाते। 3. पुरुलिया छऊ (पश्चिम बंगाल) 💢 2010 में इसे यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया। 👉 गरबा यह गुजरात का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जिसे नवरात्रि के दौरान किया जाता है। 'गरब...